SHORT STORIES FROM THE DEVAYAN - 2-HINDI

लघु कथाएँ 2 (भारत के तीसरे महाकाव्य देवायण से)

जैसा कि हम जानते हैं हमारे दैनंदिन जीवन में समय सरल रेखा में गमन करता है। हम अपना अतीत जानते हैं, वर्तमान के दौरान प्रत्येक पल को जीते हैं और भविष्य एक ऐसी चीज है जिसके बारे में हम अनुमान कर सकते हैं और अपनी कल्पना को दौड़ने के लिए छोड़ देते हैं। तथापि, एक अन्य सिद्धांत भी है, कि समय चक्र है और प्रत्येक 26,000 वर्ष बाद यह स्वयं को दोहराता है। हमारे पौराणिक धर्मग्रंथों में और अब भारत के तीसरे महाकाव्य, देवायण में इस दृष्टिकोण की व्याख्या की गई है।

इस पुस्तक की कहानियाँ देवायण से ली गई हैं, जो भारत का तीसरा महाकाव्य है, और जिसे विख्यात योगी श्री अरविंद के युवा अनुयायी डा. हजारी द्वारा लिखा गया था। यह कहानियाँ संक्षिप्ततर हैं तथा उन अनुवादों का लघु संस्करण हैं जिन्हें महाकाव्य देवायण की अतिरिक्त कहानियों में सम्मिलित किया गया है। यह काल के चार युगों की कहानी कहता है - त्रेता युग (रजत युग), द्वापर युग (कांस्य युग), कलि युग (लौह युग, जिसमें हम रह रहे हैं) और सत्य युग या स्वर्णिम युग।

महाकाव्य में कविता के बारह हजार से अधिक पृष्ठ हैं जो बारह खंडों में विभाजित हैं। पहले, इसे बंगला में लिखा गया था, तब इसका लिप्यांतर अमिता नथवाणी द्वारा हिंदी/संस्कृत में किया गया, जिनकी माताजी डा. इन्दिरा सरदाना, भारत के पूर्वी तट पर स्थित, पौंडीचेरी में अरविन्द आश्रम में एक भक्त थीं। उन्हें गंभीर हृदय रोग हो गया था जिसे एक होम्योपैथिक डॉक्टर, डॉ. हजारी ने ठीक कर दिया। जब उन्होंने उनसे देवायण के बारे में सुना तो इसे पूरे संसार के सामने प्रकट करने के लिए दृढ़ निश्चय कर लिया।

कहानियों का दूसरा चयन सृष्टि के आरंभ से लेकर सत्य के शासनकाल पर संकट के आने तक उन सब को पराजित करने के बाद सत्य को पुनः स्थापित करने के काल तक विस्तृत है। विश्व अब भी कलि युग के दासत्व में है। परंतु जैसे कि अंतिम कहानी में कहा गया है, तथा पौराणिक धर्मग्रंथों में भविष्यवाणी की गई है, सत्य युग या सत्य के काल का पुनरागमन होगा।

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